ग्वालियर चंबल की सियासत में एक मुहावरा अक्सर कहा जाता था.. चौपेट के इसपार राजा चौपेट के उस पार महाराज.. राजा यानी दिग्विजय सिंह और महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया.. गुना जिले की चौपेट नदी दोनों नेताओं की सियासी हद तय करती थी.. 2020 में सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद दोनों ही चौपेट नदी की सियासी हद को लांघ चुके हैं.. कहने का मतलब ये है कि दोनों एक दूसरे के गढ़ में सेंध लगाने की तैयारियों में जुटे हैं... ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने टारगेट छोटा है केवल राघौगढ़ विधानसभा लेकिन दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के सामने टारगेट बड़ा है.. पूरा ग्वालियर चंबल का इलाका है क्योंकि इस इलाके में पिछले पांच दशकों को जयविलास पैलेस के बिना कांग्रेस का पत्ता तक हिलता नहीं था.. सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद पूरी कांग्रेस हिल गई है.. अब कांग्रेस के सामने चुनौती नए सिरे से इसे खड़ा करने की है। आखिरकार पुराने नेताओं से मिलकर कमनलाथ और दिग्विजय सिंह साधना क्या चाहते है.. और इससे कांग्रेस को किस तरह से फायदा मिलेगा... क्या है इसके पीछे की रणनीति... देखिए